Angur Ke Fayde In Hindi

 में कुछ रोगियों को भारी महीनों द्रसाव की सलाह दे सकता हूं, लेकिन वर्षा ऋतु ओर शीत ऋतु इसका विशेज महत्व होने के कारण में यहां संक्षिप्त विवरण दिया है की द्राक्षासव के व्यंजन उपयोगी होते है। 

गुण

अंगूर का सेवन से पाचक पित का स्राव बढ़ जाता है। इसलिए इसका उपयोग  एनोरेक्सिया के कारण होने वाले पाचन तंत्र से संबंधित कई रोगों में किया जाता है किसी तेलुगु में शक्ति की रक्षा और दुर्बलता को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है यदि विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जाए तो यह शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है आरामदायक नींद है 

अंगूर का सेवन करने से मल त्याग  सही तरीके से होता है। आंतों की दीवार स्त्रोत डिकोंगेस्टत 41 की द्वारा सक्रिय डाइजेस्टिव हेल्थ माइंडफुलनेस होता हे। स्वाद में फाइव सिक्स होने से मन प्रसन्न हो जाता है इस पर नियमित रूप से सेवन करने से रदय धीरे धीरे मजबूत होता है कब जन्य रोगों में फेफड़ों में जलन धीरे-धीरे साफ हो जाती है कब द्वारा निर्मित घबराहट शांत होती है ।

 किस रोगों में उपयोगी है 

दमा सुखी खासी तपेदिक अरुचि भूख न लगना मस्से फिस्टुला सूजन हृदय रोग रक्त लगता है पेट कि अमलता और अल्सर के अलावा अन्य रोगों कुम्मी गैस पित कामोत्तेजक अत्यधिक ब्यास ज्वार मूत्र बाधा अनिद्रा और पेट फूलना। कफ कई रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है  

ढोकन खमन दाहिवाद या हांडवी बनाते समय इसे फार्मेट करना।चाहिए ओर फर्मेटेशन के बाद ही यह सबसे अच्छा होता है। 

अंगूर का सेवन करने से एक खास तरीके से मल त्याग होता है।पाचन सक्रिय होता है क्योंकि यह आतो की दीवार से स्त्राव की रुकावट को दूर करता है। 

जब अंगूर बनाने की प्रक्रिया का आया चरण पूरा हो जाता है, तो खमीर का उत्पादन होता हे।आधुनिक विज्ञान के अनुसार इस यीस्ट से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स प्राप्त होता है। 

RAR निश्चित पुष्टि के लिए राइबोफ्लेविन की आवश्यकता होती है 24 विटामिन बी कपलेक्स में है इसमें जियो सिम डाउनलोड तक वही होता है जो दूसरों को नष्ट कर देता है इसके अलावा इस डकैती में में enyurin नमक विटामिन बी वर्ग का पदार्थ होता है। जो तंत्रिका अंत को स्वस्थ रखता है इस खमीर में विटामिन डी का मूल उत्पादक भी मौजूद होता हे जो हाडियो की मजबूती ओर केल्शियम के उपयोग के लिए जिम्मेदार होता है। इस यीस्ट में कुछ ऐसे तत्व भी होते हे जो रक्त निर्माण में उपयोगी होते हे इसलिए अंगूर प्रस्वोत्तर रक्तकल्पा में बहुत उपयोगी होते है। खमीर में न्युकलिन होता हे, जो सफेद कसिकाओ के उत्पादन को नियंत्रित करता है जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में बहुत उपयोगी होते है,इसलिए शरीर में रोगजानकोको नष्ट करने की सकती होती है। 

आधुनिक विज्ञान के अनुसार द्रश्सव में ये सभी गुण मौजूद है।अब इसे दुनिया भर में विभिन्न रूपों में खाया जाता है। गर्मियों में या मानसून में या मुंबई जैसे बारहमासी आद्रा स्थानों में जब

 सर्दी होती है तो इसका औसधिक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए।जो व्यक्ति शारीरिक ओर मानसिक रूप से स्वस्थ हे वे अपने स्वस्थ को बनाई रखने के लिए बारह महीनों तक इसका सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार द्रख्सव के तीन मुख्य गुण इसकी गर्माहट,तीखापन ओर सुखश्मता के कारण हे।इसलिए यह पित रोगों ओर पित प्रकृति के लिए आवश्यक नहीं है। 

अंगूर के रस में उतनी ही मात्रा में ताजा उबला हुआ पानी मिलाएं ओर भोजन के बाद दिन में दो बार धीरे धीरे पिए। यदि रोग गंभीर हो तो चिकित्सक के परमानुसार सेवन करे। 


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